Thursday, June 20, 2013

गजल-73

सोच मोनक बऱी निठोहर छल
हिय त' दर्दक भरल सरोबर छल

ताकि भेटल सदति सखा सभतरि
बाट घाटक बनल धरोहर छल

हाल देखल कहरि उठल विधना
तैं प्रकृतियो बनल पयोधर छल

गाछ हरियर सजल फरल लुधकल
चोभि देखल त' आम चोकर छल

चाहि "राजीव" लाख सभ हारल
स्वप्न सुन्नर सुघड़ मनोहर छल

2122 1212 22
@ राजीव रंजन मिश्र 

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