Sunday, May 5, 2013


गजल-५५

ताँतल सैकत सन मोन जरल छल
जाँतल पैरक सन बोल दबल छल

मानल ने हम कखनोत' अलग सन
गाछक हरियर सभ पात झड़ल छल

जीलहुँ जीबट पर माथ उठा धरि
लागल टूटल सन शीशमहल छल

फूलक शैय्या तजि काँट चुनल हम
जानल सुमिरल बिख बाट चलल छल

मातल लोकक लखि चालि चलन छवि
"राजीव"क टप टप नोर खसल छल

2222 221 122

@ राजीव रंजन मिश्र 

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