Monday, April 29, 2013

गजल-५१ 

जानयक' सजा भेटत मानयक' सजा भेटत 
सत बात सदति अहिठाँ बाजयक' सजा भेटत
 
पाइनक' बहा देखू घइलोक' हरा बैसब 
टोकबत' घिना चटदनि माँजयक' सजा भेटत
 
शोणितसँ अपन सींचल जे गाछ सदति नेहक  
सरकार सुनब पाछा लादयक' सजा भेटत 

जीवटसँ भरल मोनक घर घरक' पिहानी छै 
झटकारि चलब कतबो धाबयक' सजा भेटत 

"राजीव" बढ़ू आगू लसियैल रहब कत दिन
बिलमबत' बुझू टुकटुक ताकयक' सजा भेटत 
 
२२१ १२२२ २२१ १२२२ 

 
@ राजीव रंजन मिश्र 

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