Monday, April 15, 2013


गजल-48

सालक साल बितल जिनगी
साधल चालि चलल जिनगी

खण खण धाबि रहल देखू
छूटल ट्रेन बनल जिनगी

करतब बानिक' अनुरूपे
गीतल गाबि रहल जिनगी

बुरिबक कानि मरल सभदिन
काबिल पाँजि गहल जिनगी

"राजीव"कत' सनक अलगे
मिठगर भास गजल जिनगी

2221 1222

@ राजीव रंजन मिश्र

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