Tuesday, March 19, 2013

गजल-४२ 

घरघर अबरोधक बाट चलल यौ
सबहक अनुसूचक नाम पऱल यौ

जनगण अबधारल बैसि रहब बस
मिठगर चरणोदक खूब बँटल यौ

सभतरि सहजोटल चालि चलय छै
नुनगर चपकोरल चान चढ़ल यौ

सहकल बुढनेन्ना बानि बदललक
नबकी अहिबातिक भाग जरल यौ

समटल सहियारल बात करथि टा
जिनके गलमुक्तक माल सजल यौ

करता अपरोजक कर्म सगर सभ
बुझनुक अरिकोचक पात बनल यौ

असगर "राजीव"हि राग अलापथि
सरदर फुसियाहिँक धार बहल यौ

२२ २२२ २११२२

@ राजीव रंजन मिश्र

No comments:

Post a Comment