Friday, March 29, 2013


गजल-४४ 

फगुआ बरसल बड मिथिला मे
रभसल बहकल चित मिथिला मे 

रघुवर खेलथि होरी अहिठाँ
सीता बिहुँसथि नित मिथिला मे
 
पावन माटिक महिमहिमंडन छै
अन-धन लछमी सभ मिथिला मे 

लख चौरासी जोनिक मेला 
जनमी धरि हम बस मिथिला मे 

"राजीव"क मानब सदिखन धरि 
बुधि बल बढबी मिल मिथिला मे 

२२२२ २२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Thursday, March 28, 2013


फागक आनंद अहूँ सभ ली,अहि गजलक' संगे!

गजल-४३ 

बड मदमातल ई काल बसंतक
सुख सहियारल छै चाल बसंतक

खन रभसल खन झकझोरि झुमौलक
चित झंकारल यौ हाल बसंतक

फाल्गुन मासक अहलाद रमनगर
अति मनभावन सुर ताल बसंतक

शीतल मृगमद सन झोंक पवन बहि
गमकै सुन्नर निर्माल बसंतक

यौवन दहकल रमणीकँ जरौलक 




सहकल बौरल नर झाल बसंतक

मनसिज निसि वासर रूप सजाबय
रंगे रोगन करवाल बसंतक

फगुआ गाबी रस भांग चढ़ा नित
गल"राजीव"क अछि माल बसंतक 


२२२२ २२१ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र

Tuesday, March 26, 2013



होली भक्ति गजल :

माधब संग खेलब होरी हम,अबिर गुलाल लगायब ना 
स्नेहक रंग रंगब हम लाला,अँखियन गात भिजायब ना 


पीयर रंग भरि भरि पिचकारी रहब निहाल भिजा सगरो 
तोरे रंग रंगा मनमोहन सदति करेज जुरायब ना 

गह्गर लाल तोहर ठोरक सन मलब रगरिकँ कन्हैया रे 
फगुआ गैब नाचब हम छमछम रभसि मृदंग बजायब ना 

आँखिक ताल तोहर कारी मसि निरखि निहारि मतब कृष्णा 
पोतब रंग एहन चपकोरब रसिक मिजाज कहायब ना 

गहि "राजीव" चरणन तोरे टा रहब मगन नित जगती मे
फागक रंग रंगब निसि वासर सरिस गुलाब फुलायब ना    

२२२१ २२२२२ १२१२१ १२२२ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

Friday, March 22, 2013

बस अपन राज टा पाबी!!

हम मैथिल छी मिथिलावासी 
हम जनक धिया के ध्याबी 
जनकलली छथि बहिन हमर 
हम गीत हुनक टा गाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!

ऐला पुरुषोत्तम पाहुन बनिक'
रहला ने ओहो अहिठा तनिक'
मिथिलांचलक छटा अनुपम 
कैल अछि रामायण में दाबी 
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!


विद्यापति कवि कोकिल हम्मर
कमला कोशी गंडक हम्मर
हम ओतबा में निर्वाह करी 
जतबा बुधि-संस्कारसँ पाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!


गौतम-कणाद के माटि हमर
मंडन आ अयाँची मान हमर 
हम्मर इतिहास रहल अछि
हम छीन-झपटि ने  लाबी 
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!


अछि चाह याह टा जन-गन के
अप्पन मिथिला राज बनाबी
चाहे जे किछु भी करय परय 
हम सबतरहे जोर लगाबी 
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!


हम्मर जतबा,ओतबा चाही 
हम बेसी ला नहि मुँह बाबी 
मिथिला मान आ शान हमर 
हम सब सहियारल डेग बढाबी 
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!

हम बहुत दिनक सतायल छी
सब रुपे सबतरिसँ दबायल छी
आब आर ने हम सहब चुप रहि  
अछि मिथिला राजक टा दाबी 
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!

एकसर ने छथि कवि एकांत
अछि मोन सभक सभरूपे क्लांत 
संग हुनक सभ दी सगरोसँ 
आबू नब इतिहास रचाबी 
हमर मांग छी एक्कहि टा 
बस अपन राज टा पाबी!!





राजीव रंजन मिश्र 
२२।०३।२०१३ 




उठू उठू हे वीर जवान !!

उठू उठू हे वीर जवान 
मिथिलाकँ सूतल सन्तान
दीन हीन भए छी बैसल 
भूलि बिसरिकँ अप्पन मान 
जागू आबहुँ जागू सब मिलि 
नै त' आब ने बाँचत प्राण !!
उठू उठू हे वीर जवान ........

पुरखा दर पुरखा लड़ैत रहल 
आइन अमरखे जरैत रहल
देखल हम अहाँ सभ अधोगति 
आबहुँ ने अछि मोन भरल?
छोङू सभटा पुरना ढाठी यौ  
फुकू समाज मे नबका जान 
उठू उठू हे वीर जवान ..........

रौदी कखनो,कखनो बाढि
मौलायल अछि सभटा ठाढि
देश कोस छोड़ल सभ गोटे
नाना तरहक दुःख आ ब्याधि  
अपने नै जौँ डाँर कसब सब 
देखलक कखन ककरा आन!!
उठू उठू हे वीर जवान ..........

रहब कखन धरि मोन मारिकँ 

अपन घर आँगन छोड़ि छाऱिकँ 
जागू संज्ञान सचरभ' सभ रुपे 
ज्ञानक डिबिया बारि बारिकँ 
खोजू सभटा नब बाट विकासक 
तखने टा आब होयत कल्याण!!
उठू उठू हे वीर जवान ..........

जाति पातिकँ  भेद मिटाबू 
ऊँच नीच केर गीत ने गाबू 
मैथिल छी,मैथिल बनि रहू 
माँ मिथिलेकँ मुक्ति दियाबू 
खाउ सपथ सभ गोटे "राजीव"
राखब सभ रूपे निज दियमान!! 
उठू उठू हे वीर जवान ..........

@ राजीव रंजन मिश्र 

Thursday, March 21, 2013

हम जिनका लेल नोर बहेलौं,तिनका आँखि मे नोरे ने
राति राति भरि दीप जरेलौं,कनिको मुदा ईजोरे ने 
छल सभतरि सभ खूब मगन,किनको भान ने देखलौं 
कानि कानि हम होश हरेलौं,हुनका कहने थोड़े ने 

@ राजीव रंजन मिश्र 

Tuesday, March 19, 2013

गजल-४२ 

घरघर अबरोधक बाट चलल यौ
सबहक अनुसूचक नाम पऱल यौ

जनगण अबधारल बैसि रहब बस
मिठगर चरणोदक खूब बँटल यौ

सभतरि सहजोटल चालि चलय छै
नुनगर चपकोरल चान चढ़ल यौ

सहकल बुढनेन्ना बानि बदललक
नबकी अहिबातिक भाग जरल यौ

समटल सहियारल बात करथि टा
जिनके गलमुक्तक माल सजल यौ

करता अपरोजक कर्म सगर सभ
बुझनुक अरिकोचक पात बनल यौ

असगर "राजीव"हि राग अलापथि
सरदर फुसियाहिँक धार बहल यौ

२२ २२२ २११२२

@ राजीव रंजन मिश्र

Monday, March 18, 2013


गजल-४१  

दहकल मोनक सभ बात अलग छै
धरगर बोलक सभ बात अलग छै

सनकल भासल चहुँ कात घिनाबै
बुझनुक लोकक सभ बात अलग छै

टभकल घाबक बड कष्ट सताबै
मलहम नेहक सभ बात अलग छै

बह्सल मोनक कत गीत सुनल हम
गजलक जोहक सभ बात अलग छै

टनगर "राजीव"क बोल सदति छल
बदलल टोनक सभ बात अलग छै

2222 221 122
@ राजीव रंजन मिश्र

Friday, March 15, 2013


गजल-४० 

भौंहक हुनकर कमानी गजब ढाहल यौ 
नैनक धरगर कटारी हतल मारल यौ

ठोरक रंगत समौने विरल लाली छल 
गालक लालिम दुनाली चलल दागल यौ 

यौवन लगबय पसाही सरस गोपी सन 
डोलल सबहक करेजा हिया भासल यौ 


आंगन टपलथि जखन ओ हुरकि लुधकल सभ 
डाँरक लचकब नचाबै सहकि मातल यौ   

कौखन "राजीव" ककरो बुझल ने किछुओ 
देखल हुनकर जुआनी बनल पागल यौ 

२२२२ १२२  १२२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Wednesday, March 13, 2013


गजल-३९ 

हम बात बिचारक मारल छी 
थकि हारि सिनेहक डाहल छी 

जत पाठ पढ़ल तत बूझल टा 
मति मोन मिजाजक हारल छी  

ने ज्ञान भगति ने गुण कनिको 
बस लाज लेहाजक छारल छी

ने चालि चलल ने बूझल हम 
सरकार विवेकक डाढल छी 

"राजीव" कहब हम ककरा की 
निज कैल करैलक दागल छी 

२२१  १२२  २२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

Tuesday, March 12, 2013

गजल-३८ 

हारल के आ जीतल के
माथक टेटर देखल के

मारल करमक अपने सभ
दोसरके दुख बूझल के

टेमी बारल बातक टा
करमक डिबिया लेसल के

साती मोनक टभकै बड
लचरल घरके डेबल के

"राजीव"क ई अवधारल
सतपथ धेने डूबल के 

222 2222
@ राजीव रंजन मिश्र 

Monday, March 11, 2013


गजल-३७ 

की सूतब की जागब हम
जे सोचब से पायब हम 

जे भेटत से भोगब तनि 
नीकक टा गुण गायब हम

अनका पर ने थोपब सभ
अपनाके नित झारब हम 


जौँ सोचल सत मोने नित 
तौँ कौखन ने हारब हम 

"राजीव"क सक लीखब धरि
घोंकब ने बस लारब हम

२२२   २२२२
@ राजीव रंजन मिश्र   

Friday, March 8, 2013

अंतरराष्ट्रीय नारी दिवसक अवसर पर  सभ गोटेकँ  हार्दिक शुभकामनाक संग परसि रहल छी अपन ई गजल : 

गजल-३६ 

हे नारि उठू हुंकार भरू
सहियारि चलू ललकारि चलू

छी मान अँही अभिमान अँही
हहरल हियके परतारि कहू


नित नाम रहै जनमानस मे
करतबकँ छड़ी तलवार धरू


बदलत जगती सहजे नइ ई
जगतारनि बनि पुनि ठाढ़ करू 


ने लाज ढहै अहलाद रहै
सुनगाकँ कनी चिनगारि चलू


ने काज चलत खटराससँ हे
अवधारि दियरि नित बारि बढ़ू 


"राजीव" सुनू हे माय धिया
जगमे नब तेजक संग बहू 


22112 221 12

@ राजीव रंजन मिश्र 






Tuesday, March 5, 2013




भक्ति गजल-३ 

कुंडल कानन दमकैत माधबकँ
अधरन बाँसुरि बिहुँसैत माधबकँ

चानन माथक गमकैत माधबकँ
पैरक पैजनि छनकैत माधबकँ

डाँरक डरकस ससरैत माधबकँ
माय यशोदा सजबैत माधबकँ

कारी नैनन मटकैत माधबकँ
केशक चोटी लटकैत माधबकँ

सुन्नर आनन चमकैत माधबकँ
सुर नर किन्नर निहुँछैत माधबकँ

नागक रनियाँ गुहरैत माधबकँ
ग्वारक धीया नचबैत माधबकँ

ग्वालक संतति बजबैत माधबकँ
शिव चतुरादिक बिनबैत माधबकँ

दाऊ बलदउ खिझबैत माधबकँ
राधा रुक्मणि रभसैत माधबकँ

मंगल गाबिकँ निरखैत माधबकँ
"राजीव"हुँ छथि सुमिरैत माधबकँ

२२२२  २२१  २२१
@ राजीव रंजन मिश्र 

Sunday, March 3, 2013


गजल ३५ 

सोचसँ जीतल ई दुनियाँ 
सोचक हारल ई दुनियाँ

सोच उठौलक आ पटकल 
सोच सवारल ई दुनियाँ

सोचिकँ पैलक सभ सभटा 
सोचक मारल ई दुनियाँ 

सोच बनौलक निक बेजा 
सोच निखारल ई दुनियाँ 

सोचल गौतम तैँ जानू 
अंककँ जानल  दुनियाँ 

सोचक बाबैत राम छला 
कृष्णकँ चिन्हल ई दुनियाँ 

सोचकँ अप्पन शान चढा 
लोक पछारल ई दुनियाँ  

सभ कहथि सोचू जुनि यौ
सोच बिसारल ई दुनियाँ 

सोच छोड़िकँ सभ तरहे 
हाथ पसारल ई दुनियाँ

सोचल बेसी आ करनी 
किछु ने मानल ई दुनियाँ

"राजीव"क बुझने तौँ बस 
सोचक डाहल ई दुनियाँ 

२११ २२ २२२ 
@राजीव रंजन मिश्र 





Saturday, March 2, 2013

गजल-३४

बिनु बातक बात हजार भेटल
सुनि काने कान पसार भेटल


सभ लागल भास नियार मे छल
दिन काजक ने सरकार भेटल


छल सौनक मास दहैल देहरि
अगहन नित पात सचार भेटल


जौँ राखल बात विचार सीटल
घुरि ताकल हाथ लथार भेटल


चुप चापे आँखि निपोरि चिन्हल
अहलादक यार भजार भेटल


छल डाहल मोन मिजाज शोणित
पुनि  लागल हाट बजार भेटल


"राजीव"हुँ हारि हियाउ बैसल
बड शानक माथ कपार भेटल 


22221 121 211

@ राजीव रंजन मिश्र