Friday, February 15, 2013


आज का उनवान: सर्दी/शरद/ठंढ/विंटर/जाड

जाङे की गर बात करें तो बड़ा सुहाना ठंढा लगता है
फितरत के कारण बेमौसम हर रिश्ता ठंढा लगता है 


बात करें क्या हालातों की देखी जो हर महफ़िल में
होठों पर मुस्कान लिए जग दिवाना ठंढा लगता है


लिये ठोस जज्बात हृदय में निर्धन शीत से बेगाना है
सुख समृद्धि के कम्बल से लिपटा बेचारा ठंढा लगता है 


खुद सोयी जो गीले में,उसके खातिर पूस की रातों में
उस माँ के प्रति व्यवहार पुत्र का सारा ठंढा लगता है 


"राजीव" नहीं है कठिन जरा भी सहना मौसम के जाड़े को
व्यवहार शिथिलता देख मनुज में दुष्कर सा ठंढा लगता है


राजीव रंजन मिश्र 


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