Thursday, February 28, 2013

गजल-३५ 
बातक सभटा यौ बाबू हिसाब होइ छै
पाइन राखल तौँ बातक लेहाज होइ छै

आइन मरदक तौँ बड पैघ बात सदिखन 
जिनगी सबहक ने खूजल किताब होइ छै

बाजल फटफट आ करनी गड़बड़ रहल जौँ
जानब सभदिन ओ दुरि बेहिसाब होइ छै 

जगती नखतो ने छूटल करमक पहुँचसँ
वीरतँ सभ दिनका फूजल जहाज होइ छै

"राजीव"सुनू ने लोकक चलैत बाट मे
मोने सुच्चा सभ कष्टक इलाज होइ छै

२२२२२+२२१२१+२१२
२२२२ +२२२ +१२१२१२ 

@ राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment