Friday, February 15, 2013


नवल सोच होइक नब साल मे,नब समाज केर होय रचना
गमकइ सबहक फुलवारी आ भरल पुरल होय घर अंगना 
मिथिला मैथिल केर जग वंदन होय सबतरि चंहूँ तरफ़ा  
मित्र लोकनिकँ नव बर्षक "राजीवक" अछि शुभकामना 
राजीव रंजन मिश्र 

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