Sunday, December 9, 2012


आओ हम सब मिल कर के,मानवता का दीप जलाएँ
प्रेम भाव को दीया बनाके,दीपशिखा सी ज्योत जलाएँ 
साथ रहें हम सभ एकत्रित,रखें आपस में सहयोग परस्पर
फिर तो जीवन के पथ में ,खुद मिट जायेंगी बाधाएं दुष्कर
मांग यही है आज समय की और यही एक उचित विकल्प
समय गवां फिर हाथ क्यों मलना,अविलम्ब हम लग जाएँ 
आओ हम सब मिल कर के----------------------------------
साल और एक बीत रही,फिर से आई वही दिवाली है 
जगमग दीप जले हर घर में पर हर दिल जैसे खाली है
हाथ मिलायें वक्त से हम और दृढ संकल्पित डेग भरें
आलोकीत हो नव प्रकाश से नूतन एक समाज रचाएँ
आओ हम सब मिल कर के-------------------------
सोचे सब मिल चूक हुयी क्या,क्यों धूमिल सारे स्वप्न हुए
क्यों उन्माद उठी है मन में तन से हम क्यों शिथिल हुए
मंहगाई आकाश छू रही पर संसाधन बस दिख रहे अल्प हैं 
मेहनत और लगन से अपने जनजीवन को सफल बनाएँ 
आओ हम सब मिल कर के-------------------------
अशेष शुभकामना दीपों के इस मंगलमय अवसर पर सब को 
बच्चों को स्नेह,बधाई मित्रों को और सादर चरण स्पर्श बड़ों को
है विनय यही इस अवसर पर आचरण को परिमार्जित रख कर  
बुद्धि-विवेक के दीया-बाती से छाये अज्ञान तिमिर को दूर भगाएँ 
आओ हम सब मिल कर के-------------------------
राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment