Sunday, December 9, 2012


          "दिया जलाये रखना"

हर वक़्त तुम मुसाफिर,निर्भय हो चलते रहना!
प्रभु प्रेम-पालने में,तुम निश्छल हो पलते रहना!!
राहें कठिन भी हो गर,बस जज्बा बनाये रखना!
मन में सदा संघर्ष की,बस दीया जलाये रखना!!

हो हर तरफ अँधेरा और सहस्त्र बन्धनों का फेरा!
निज आत्मज्ञान को तुम,तम से बचाये रखना!!
उस ज्योति प्रकाश-पुंज पे,निगाहें टिकाये रखना!
मन में सदा लगन की ,बस दीया जलाये रखना!!

हो घोर विषम समस्या व करना पड़े कठिन तपस्या!
विचलित ना कर ह्रदय को,दृढ आशा बनाये रखना!
दिल के सुमन को तुम बस,हर पल खिलाये रखना!
मन में सदा समर्पण की,बस दीया जलाये रखना!!

अयेगा दिन वो भी,जब सब मंजिल भी प्राप्त होंगे!
थक-हार अड़चने भी,स्वयं लज्जित परास्त होंगे!!
पर उस वक़्त भी मुसाफिर,मस्तक झुकाये रखना!
मन में सदा संयम की,बस दीया जलाये रखना!!



----राजीव रंजन मिश्र 

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