Saturday, November 17, 2012


           बाल गजल (१)

पढि लिखि कए बौआ बाहर रहतै 
सत बाबा के कहल आखर रहतै 

दिन पलटतय हमरो सबहक  
भरल घर नोकर चाकर रहतै 

लक्षण करम एकर लागैत अछि 
बौआ सबतरि भए धाकर रहतै 

मोनक हमरो सुनथिन भगवान
करेज अपन भए चाकर रहतै 

माय बहिन खानदानक पुरतय
बौआ सबहक लेल सागर रहतै 

बढ़तय दिन दुना राति चारिगुन्ना 
भरल नित बौआक गागर रहतै 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-  १४ )


राजीव रंजन मिश्र


No comments:

Post a Comment