Saturday, November 17, 2012


हम मैथिल छी मिथिलावासी 
हम जनक धिया के ध्याबी 
जनकलली छथि बहिन हमर 
हम गीत हुनक बस गाबी
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी

ऐला पुरुषोत्तम पाहून बनि क
चललैन नै कोनो नवाबी 
मिथिलांचलक छटा अनुपम 
अछि रामायण में दाबी 
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी

विद्यापति कवि कोकिल हम्मर
कमला कोशी गंडक हम्मर
हम ओतबा में निर्वाह करी 
जतबा बुधि-संस्कार स पाबी
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी

गौतम-कणाद के भूमि हमर
मंडन आ आयांची मान हमर 
हम्मर इतिहास रहल अछि
हम छीन-झपटि नै लाबी 
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी

अछि चाह याह टा जन-गन के
अप्पन मिथिला राज्य बनाबी
चाहे जे किछु भी करय परय 
हम सबतरि सँ जोर लगाबी 
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी

हम्मर जतबा,ओतबा चाही 
हम बेसी ला नहि मुंह बाबी 
मिथिला मान आ शान हमर 
हम सब मिल-जूलि डेग बढाबी 
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी

हम बहुत दिनक सतायल छी
सब रुपे सबतरि स दबायल छी
आब आर नै हम सहब चुप रहि  
अछि मिथिला राज्यक टा दाबी 
हमर मांग नै नाजायज़ कोनो
बस अप्पन अधिकार टा पाबी



राजीव रंजन मिश्र 
०६.०७.२०१२ 

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