Saturday, November 17, 2012


चंदा जुनि आजुक राति ठहर
नींद नै आबय,बीतै नै पहर
मोन कियाक जे बहकल अछि 
नै जानि अनेरो सहकल अछि
कांपि रहल इ छाती थर-थर 
बरसै बदरी झहैड़- झहैड़ 
चंदा जुनि .....................

ई मोन बेदर्दी पागल अछि
टेमी लय क जे दागल अछि
पोखरिक निश्चल पानि में जेना 
फेकल क्यउ एक पाथर अछि
चाहैत छी कतबो दूर हटय 
याद अबै अछि घुमैर-घुमैर 
चंदा जुनि .................

सौन गेल आर भादव बीतल 
मोन हमर कहियो नै तीतल
संसारक सब टा रीति देखल 
अपनहिं में सौंसे सब बेकल 
नहि कथु में आब मोन लगय 
चांगुड़ मारय  पकैड़- पकैड़
चंदा जुनि ........................

दरकल जे कोने-कोन हमर
बरकल सोच आ मोन हमर 
बस उंच नीच केर भेद भाव 
बनल अछि सबहक स्वभाव  
छी अकुलैल पियासल चातक
मेघ बजैय  छै गुम्हैङ गुम्हैङ
चंदा जुनि आजुक राति ठहर
नींद नै आबय,बितय नै पहर 
राजीव रंजन मिश्र 
२९.०६.२०१२

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