Sunday, November 25, 2012


सफ़र जिंदगी का ये बेहद सुहाना रहेगा
जूबां पर सभी के तेरा ही फ़साना रहेगा 

हरेक बुलंदी कदम चूम लेगी तेरे एक दिन 
गर जहाँ में निस्वार्थ रहकर बेगाना रहेगा 

भटकेगा जब तक तू खुशियों की चाहत में
मुश्किल तेरा खुल कर  मुस्कुराना रहेगा 

ज़माने ने हरदम सबको नवाजा है गम से
दस्तूर जारी इस जहाँ का यह पुराना रहेगा 

शिद्दत से बस तू लगे रह करम में रे मानव
लबे साज़ पे मचलता ख़ुशी का तराना रहेगा

अरमानों को संजो कर रख तू इत्मीनान से
हमेशा किसी एक का ना होकर जमाना रहेगा 

"राजीव"भला क्यूँ सोचता है तू कुछ पाने की 
जिवन सफ़र में कब तक बना दिवाना रहेगा 

राजीव रंजन मिश्र 

No comments:

Post a Comment