Saturday, November 17, 2012


 हाइकू

सुखैल खेत 
पाइनक आस  में
पाथर भेल ! 

मेघ लागल 
बिजलौका लकय
बेंग बाजल !

बरखा भेल
तिरपित  जीवन 
देह तीतल !

चूबैत घाम
बरसल बरखा 
ठंडा जीवन !

बरसै  बुन्नी 
दौड़ल खेतिहर
समटे  धान !

पइघ बुन्न
सोहरल पाइन 
डूबल टोल !

राजीव रंजन मिश्र 






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