Friday, March 16, 2012

जिसको भी मैंने झूमकर ,गले से लगा लिया!
उसने ही मुझको चूमकर,नश्तर लगा दिया!!
मैंने भूलकर भी न कभी ,शिकवा कोई किया!
हर जख्म को झेल,बस ख़ामोशी से रह लिया!!
मै आदतन हर  हाल में,उनका भला किया!
उनके ख़ुशी के वास्ते,हर गम को सह लिया!!
उन पर तो  जैसे,कोई जीद्द  सी सवार थी!
इक पल भी मेरे वास्ते,सोचना गवांरा नहीं किया!!
देखें लगन में किसकी,कितना असर है दोस्त!
रब ने कभी भी,अपना-पराया नहीं किया!!

---राजीव रंजन मिश्र
१४.०३.२०१२ 

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