Monday, March 5, 2012


आओ फिर एक बार तुम,
मुझको सताने के वास्ते!
जीवन में तो यूँ ही,
होते रहेंगे हादसे!!
गर हो तुम्हारे दिल में 
यादों की दास्तां,
तो रह ना पायेगी कोई दूरी,
हमारे दरम्याँ! 
हम सह ना पाएंगे,
ये ग़मों के जलजले!
अब रुक जानी चाहिये,
हर हाल में,ये वादों के सिलसिले!! 
राजीव रंजन मिश्र 
०४.०३०२०१२ 

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