Saturday, December 3, 2011


गगन से तारे मैं तोर लाता,बस एक तुम्हारा जो साथ होता!
सहरे मे भी मैं चमन खिलाता,राहे-जीन्दगी मे जो तुम्हे न खोता!
कदम भी मेरे बह्कते न ऐसे,खुशी के आलम मे मैं यूं न रोता!
दिल ने मेरे जो अरमान पाले,गमों के आँसु से उन्हें न धोता!
तेरी मोहब्बत को पा कर जालिम,मै खुशकिस्मती का मिशाल होता!
                                                            --राजीव रंजन मिश्रा
                                                             ०८/०३/१९९५

'जिन्दगी का सफ़र'

        
तनहा कटता रहा, जिन्दगी का सफ़र!
अपना कोई हमारा, हो न सका!!
खोना चाह जिसे,उसे खो न सका!
पाना जो कुछ भी चाहा,कभी पा न सका!!
जुल्म सहता रहा,उनकी हंस कर के मै!
य़ू ही कुढ़ता रहा,फिर भी रो न सका!!
अपनी खुशियों को, उन पर लुटाता रहा!
दिल कि माला में, उनको पीरों न सका!!
पास आना तो चाहा,हर हमेशा मगर!
हमसफ़र उनका, मै हो न सका!!
टुटा हूँ  अब इस कदर ,कि क्या कहूँ!
हाल ये भी,उनको रुला न सका!!
भूलना तो उनको,दिल से चाहा मगर!
'मीत' खयालो से उनको,भुला न सका!!
- राजीव रंजन मिश्र


जहाँ भी देखा,जिसे भी देखा,
                 अपने ही गम से त्रस्त देखा!
फिर भी न जाने क्युं हर एक को,
                 अपने ही दुनियाँ मे व्यस्त देखा!!
न जाने,वो कौन सी डोर है,
                 जिस मे बंध कर सभी को मस्त देखा!
खुद हंसने और गैरों को रुलाने में,
                  हर-एक शक्स को सिधहस्त  देखा!!
जो कभी खुशियाँ बाँटने कि नौबत सी आई,
                  सभी के हौसले पस्त देखा!
न जाने ईश्वर तुने कैसी दुनियां बनायीं,
                  कि सभी क़ी हालत खस्त देखा!!
                                                                    -- राजीव रंजन मिश्रा
                                                                        २०/०८/१९९४

"हम वासी हिंदुस्तान के"


             
एक हमारा नारा है,एक निति हम जानते!
शांति और श्रधा के प्रचारक,हम खुद को है मानते!!
बहती है हम सब के रग में,शोणित गाँधी और सुभाष महान के!
डिग न सकेंगे अपने पथ से,हम वासी हिंदुस्तान के!!
गाँधी ने जो राह दिखाए,त्याग और बलिदान के!
सच्चाई है निति हमारा,हम सत्य को जीवन मानते!!
छीन झपट कर इधर-उधर से,हम जीना नहीं जानते!
सच्चाई पर मिट जायेंगे,हम वासी हिंदुस्तान के!!
हम न लऱे हैं कभी किसी से,बरछी तीर कमान से!
जीता है हमने हर एक जंग को शांति और सम्मान से!!
अन्याय किसी बेवस पर करना,हम कायरता मानते!
पर रौब किसी का नहीं सहेंगे हम वासी हिंदुस्तान के!!
सत्य अहिंसा को ढाल बनाकर,टकरायेंगे जहान से!
भारत माता के इज्ज़त के खातिर,खेलेंगे अपनी जान से!!
नाजायज़ हरकते छोरः दे दुनिया,रखे हम को पहचान के!
ईंट से ईंट बजा देंगे,हम वासी हिंदुस्तान के!!
                                  ---राजीव रंजन मिश्रा