Monday, November 7, 2011

दुनियां में जीने कि चाहत,
जिस दिन दिल से  मर जाएगा!
ठीक उसी दिन रे मानव,
तेरा जीवन खुशियों से भर जाएगा!!
जब तक चाह रहेगी खुशियों की,
तब तक तू दुःख पायेगा!
खुशियों की तमन्ना करना भी,
वैसे तो कोई गुनाह नहीं!
पर सोच हमेशा जीवन में,
गम की भी कोई परवाह नहीं!!
खुशियाँ गर मन को सुख देती है,
दुःख भी राह दिखाती है!
जीवन के इस वक्र डगर पर,
चलने का ढंग सिखाती है!!
फूल सभी को भाते  हैं,
पर कांटे भी दामन में आते है!
फूलों को दामन में ले ले पर,
कांटो को भी न यूँ फेंक सही!
न जाने कब किस राह में,
वो कांटे पग में चुभ जाय कही!!
खुशियों में गर तू मुस्काता है,
गम में भी खुश रहने की आदत डाल!
फिर देख फाँस नहीं सकती तुझको,
कभी जमाने की माया जाल!!
जिस हद तक खुद को ख़ुशी बनाना चाहे,
उस हद तक सबकी खुशियाँ चाह!
फिर तो जीवन के हर एक मोर पे,
मिल जाएँगी तुझको खुद ही राह!!
जीवन के इस वक्र धरा पर,
है कच्ची पक्की राह सही!
पर बाजू में जिनके काबू है,
उनको कोई परवाह नहीं!!
सुगम रास्ते पर चलना,
संसार में सबको भाता है!
कंकर-पत्थर से भरे डगर पर,
स्वाधीन वीर ही जाता है!!
देख पलट कर पन्ने को,
इतिहास हमें बतलाता है!
इस रंग भरे दुनियां में हरदम,
कोई आता कोई जाता है!!
पर याद उसी को करते जगवाले,
जो सहरा में चमन खिलाता है!
अपने सत्कर्मो से जग में,
जो आदर्श बन जाता है!!
कुछ काम करो जग में ऐसा कि,
जगवाले तुमको भी याद करें!
हर वक्त तेरा ही चर्च करे,
तेरे कर्मो की दाद करें!!
जब तक तू जिन्दा रहे जहाँ में,
तेरे जीने की फरियाद करें!
और मिट जाए जब तेरी हस्ती,
याद तुझे तेरे बाद करे!!
"आया है कई,अयेगा कई,दुनियां की है रीति यही!
जाकर भी सबके दिल में रहना,है वीरों की जीत सही!!"
-----राजीव रंजन मिश्रा
२७/१२/१९९४

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