Sunday, November 20, 2011

"दिया जलाये रखना"





हर वक़्त तुम मुसाफिर,निर्भय हो चलते रहना!
प्रभु प्रेम-पालने में,निश्चल हो पलते रहना!!
राहें कठिन भी हो तो,जज्बा बनाये रखना!
मन में सदा संघर्ष की,दिया जलाये रखना!!

हो हर तरफ अँधेरा,और बन्धनों का फेरा!
निज आत्मज्ञान को तुम,तम से बचाए रखना!!
उस ज्योति प्रकाश-पुंज पर,निगाहे टिकाये रखना!
मन में सदा लगन की ,दिया जलाये रखना!!

हो घोर विषम समस्या,जो करना परे तपस्या!
विचलित ना कर ह्रदय को,आशा बनाये रखना!
दिल के सुमन को हर पल,खिलाये रखना!
मन में सदा समर्पण की,दिया जलाये रखना!!

अयेगा दिन वो भी,मंजिल भी पास होंगे!
थक-हार अरचने भी,हो लज्जित,परास्त होंगे!!
पर उस वक़्त भी मुसाफिर,संयम बनाये रखना!
मन में सदा ही प्रेम की,दिया जलाये रखना!!

----राजीव रंजन मिश्र 
१६/११/२०११




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